हमीद :

सार्जेंट हमीद (कप्तान हमीद) इबने सफी की जासूसी श्रृंखला जासूसी दुनिया में कर्नल विनोद का मुख्य सहायक, एक काल्पनिक जासूस और अपराधों से लड़ने वाला एक योद्धा है | हमीद का चरित्र विनोद की भूमिका को पूरा करता है | हमीद का चरित्र चंचल, शरारती, लापरवाह और रोमांटिक है, और जब कभी किसी अवसर पर उसकी जरुरत होती है तो वह मेहनती, बहादुर, निडर, बुद्धिमान और स्मार्ट बन जाता है | अपने मूढ़ के झूलों से प्रेरित होकर वह भी बहुत अप्रत्याशित है | वह विनोद के एक साथी और सहायक के रूप में कार्य करता है और उसी हवेली में उसके साथ रहता है | जयादातर समय वह विनोद के सामने एक बच्चे की तरह व्यव्हार करता है , जो एक लापरवाह और गन्दा चरित्र होने का नाटक करता है और अक्सर विनोद को चिढाने के लिये बहस करता है | हालाँकि , वह अपने मालिक के प्रति अपने दिल में गहरी प्यार की भावना रखता है | तथ्य यह है कि वह विनोद का सामना करने में सक्षम है, जो कि एक आसान काम नहीं है ,यह उसके मजबूत चरित्र का एक सबूत है | अक्सर हमीद की यह आवारा किस्म की कार्यवाही होती है जिससे विनोद को जीत मिलती है |

हमीद जासूसी दुनिया में डा. वाटसन के समकक्ष है | यद्यपि वह बेहद गम्भीर नहीं लगता है, वास्तव में वह आचरण में विनोद के समान उच्च मानकों को रखता है | जमीनी तौर पर वह विनोद में मौजूद सभी अच्छी चीजों की शिकायत करता है और उसके विपरीत व्यवहार करता है लेकिन यह केवल उसकी शैली है | बार-बार हम उन परिस्थितियों में उसे ढूंढते हैं जहाँ पर काम करते हुये विनोद उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे |

हमीद अक्सर परिणामों की परवाह किये बिना किसी भी मामले में कूद जाता है, ताकि बाद में सबको आश्चर्यचकित कर सके | इबने सफी इस स्थिति को “खोपड़ी पे छिपकली सवार होंना “ कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है कि हमीद की मानसिक दशा एक छिपकली की तरह है | छिपकली को लाक्षणिक रूप से एक ऐसी वास्तु के तौर पर प्रयोग किया जाता है, जो किसी को अतिवादी रूप से परेशान करती है | हमीद की कई सफलताएँ इस घटना का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं |

उपन्यास “ठंडी आग “ बताता है कि हमीद का व्यक्तित्व इस तरह से क्यों और कैसे विकसित हुआ है | इबने सफी ने इस उपन्यास में हमीद का एक पूर्ण मनोवैज्ञानिक रेखा चित्र   प्रस्तुत          किया    है | और पाठक यह समझ सकता है कि वह कई बार मिश्रित भावों को क्यों प्रदर्शित करता है और भ्रमित हो जाता है | हमीद के पिता पारंपरिक रूप से एक दिमाग वाले व्यक्ति थे जिन्होंने उसे अपनी इच्छा के विरुद्ध सशस्त्र सेना में शामिल होने के लिये मजबूर किया | हमीद को बहुत ही कम उम्र में द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल होने के लिये भेजा गया था | युद्ध के भयंकर परिणामों ने उसे शराब के प्रभाव में आराम करने के लिये प्रेरित किया | इस तरह उसकी नज़रों में जीवन के मूल्य में कमी आई, और उसने जीवन के महत्व को अनदेखा करना शुरू कर दिया, उसकी लापरवाह, कुछ हद तक चिडचिडे और उपेक्षा करने की प्रकृति विकसित हो गई | विनोद को मिलने के बाद हमीद का जीवन के प्रति दर्शन नाटकीय ढंग से बदलता है, जिसका पाठकों को अब पता है |

हमीद “ठंडी आग” में अपनी कहानी के बारे में बाताते हैं कि वह विनोद से कैसे मिले ? युद्ध की भयानक्ताओं के माध्यम से गुजरने ने हमीद को कडवा और विद्रोही बनाकर छोड़ दिया | वह फैसला करता है कि वह कभी वापिस घर नहीं जायेगा | युद्ध के अंत में जब सभी सैनिक वापिस आते हैं तो हमीद भी वापिस आ जाता है | ट्रेन के स्टेशन पर वह अपने पिता को उसका इन्तजार करते हुए देखता है | हमीद बिना रुके उनके पास से गुजरने की कोशिश करता है, लेकिन उसके पिता उस पर छलांग लगाते हैं | वह उसे गले लगाने की कोशिश करते है, लेकिन हमीद उन्हें झटक कर पीछे कर देता है | वह अपनी आँखों को पहचान के किसी भी चिन्ह को प्रकट करने की अनुमति नहीं देता | वह बूढ़े आदमी से कहता है कि वह उसका बेटा नहीं है, और उसने उसे किसी और के लिये गलत समझ लिया है | हमीद अपने सामान्य दिशा निर्देशों के बीच आने वाले एक लम्बे अच्छे दिखने वाले व्यक्ति की ओर ध्यान देता है | हमीद प्यार भरे भाईचारे के शब्द बोलता हुआ इस तरह से उसकी तरफ दौड़ता है और उसे गले लगाता है जैसे उसने बड़े लम्बे समय के बाद अपने भाई को देखा है | अजनवी, उसे वापस गले लगाता है और उसे पूछता है कि उसकी यात्रा कैसी रही, उन्होंने हमीद को बताया कि जब वह मोर्चे पर था तो उन्होंने ने उसे बहुत याद किया | चिंतित पिता को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होता लेकिन उसके यकीन दिलाने वाले नाटक के कारण वह वहां से चला जाता है | बाद में हमीद विनोद को पूरी कहानी बताता है | यद्यपि विनोद ने इसे नापसंद किया, वह उसे एक पुलिस सार्जेंट के रूप में काम करने के लिये उसके सहायक के तौर पर नौकरी की पेशकश करता है | हमीद उससे सहमत हो जाता है | क्योंकि उसके पास रहने के लिये कोई जगह नहीं है इसलिये वह विनोद के साथ रहता है | हालाँकि बाद में विनोद के द्वारा आश्वस्त करने पर, हमीद अपने परिवार में वापिस चला गया और अपने पिता से मजाक के लिये माफ़ी मांगी |

हमीद में अजीब शौक भी हैं | कुछ कहानियों में वह अपने पालतू चूहे को नृत्य कैसे करना है यह सिखाता है | अन्य कहानियों में वह अपने बकरे को दर्शन शास्त्र सिखा रहा है | किसी चुनौती का सामना करते हुए वह अपने प्रशिक्षक और सरंक्षक विनोद की उपेक्षाओं में कभी विफल नहीं होता | अभिनय के लिये अपने प्राकृतिक स्वभाव के कारण, वह कई बार मृत्यु को चकमा देने में सफल होता है | विनोद का एक गम्भीर छात्र होने की वजह से हमीद भी छिपने की कला में माहिर है | हमेशा के प्लास्टिक मेकअप के अलावा, वह अपनी जेब में कुछ रखता है जिसे वह अपना “रेडीमेट मेकअप” कहता है | यह रबर स्प्रिंग के दो नरम टुकडे हैं , जिन्हें जब वह अपनी नाक में लगाता है तो नाक ऊपर उठ जाती है और इसी तरह उसके ऊपर के होंठ उसके आगे के दांतों को प्रकट करने के लिये खिस्क जाते है | चेहरे की  विशेषताओं का यह परिवर्तन उसे मुश्क्किल तौर पर पहचानने के योग्य बनता है |

अपने शुरूआती दिनों में हमीद शहनाज नाम की एक लड़की के साथ जुडा हुआ था | प्यार इस हद तक परवान चढ़ चुका था कि हमीद शादी का प्रस्स्ताव देने के लिये तैयार था | हालाँकि पाठकों को यह पता है कि प्रेमी पूरी तरह परिपक्व नहीं होते और दिल तथा दिमाग के मामलों के बीच उलझ कर रह जाते हैं | हालाँकि इस तरह की मानसिक विकास की प्रक्रियाओं के माध्यम से गुजरना पात्रों के लिये आवश्यक है, उनके संबंधों की प्रकृति का अर्थ है कि कोई भी स्थाई आराम नहीं हो सकता | इसलिये शहनाज का चरित्र हटा दिया गया है |